अगर उचित ढंग से प्रबंधन किया जाए तो गन्ने की खूंटी या ठूंठ (पके गन्ने के टुकड़े जिन्हें अगली फसल के लिए खेत में रोपा जाता है) से भी अच्छा मुनाफा कमाया जाता है, क्योंकि इनकी लागत कम और उत्पादन शक्ति गन्ने के मूल पौधे के सामान होती है। पश्चिमी महाराष्ट्र में कुछ किसानों ने गन्ने के प्रत्येक पौधे से 10 से ज्यादा खूंटी उगाकर भारी सफलता अर्जित की है। मौसम से पहले उगने वाले गन्ने के खूंटी से सुरु और अदसाली गन्ने की प्रजाति की अपेक्षा ज्यादा पैदावार होती है। गन्ने की खूंटी के बेहतर प्रबंधन के लिए यहां कुछ नुस्खे दिए जा रहे हैं।

  1. गन्ने की खूंटी का प्रभावी प्रबंधन करने के लिए गन्ने की पिछली फसल की कटाई 15 फरवरी से पहले हो जानी चाहिए। इससे गन्ने के फसल पर एक खास तरह के कीड़े, शूट बोरर के अटैक का खतरा नहीं होता। इससे कटाई से पहले गन्ने की फसल को उगने का पर्याप्त समय मिल जाता है।
  2. गन्ने की पहली कटाई के बाद गन्ने की फसल का सारा कचरा गन्ने की खूंटी से हटा देना चाहिए और उन्हें खेत में रोपाई की धारियों में अच्छी तरह फैला देना चाहिए, जिससे बेहतर अंकुरण के लिए सूर्य की किरणें उन तक अच्छी तरह पहुँच सके।
  3. अच्छे या मजबूत पौधे के लिए गन्ने की पिछली फसल की खूंटियों को तीखे ब्लेड से एक वार में खेत में ही काट लेना चाहिए।
  4. काटने के तुरंत बाद गन्ने की खूंटी पर 0.1% कारबेनडाजिम घोल का छिड़काव कर देना चाहिए।
  5. कचरे को जल्द सड़ने के लिए उस पर गोबर के गाढ़े घोल के साथ प्रति हेक्टेयर 80 किलोग्राम यूरिया + 100 किलोग्राम एसएसपी और 10 किलोग्राम कम्पोस्ट खाद मिलाकर पता देना चाहिए।
  6. बेहतर प्रभाव और जोरदार वृद्धि के लिए उर्वरक की आधी खुराक पहली सिंचाई के बाद देनी चाहिए. इसके लिए मेंड़ के एक बगल में सब्बल से सुराख बनाकर (खूंटियों से 15-20 सेंटीमीटर हट कर) उर्वरक डालना चाहिए।
  7. उर्वरक की बाकी आधी खुराक 4 महीने बाद मेंड़ के दूसरे बगल में उसी तरीके से डालनी चाहिए।
  8. सूक्ष्म पोषक तत्वों की कमी से बचने के लिए, अच्छी तरह सड़े जैविक खाद के साथ प्रति हेक्टेयर 25 किलोग्राम फेरस सल्फेट (FeSO4), 25 किलोग्राम जिंक सल्फेट (ZnSO4), 10 किलोग्राम मैंगनीज सलफेट (MnSO4) और 5 किलोग्राम बोरेक्स मिलाकर डालना चाहिए।
  9. अच्छी पैदावार और ज्यादा चीनी प्राप्त करने के लिए प्रति हेक्टेयर 60 किलोग्राम के हिसाब से सल्फर डालना चाहिए।
  10. गन्ने की उपज को बढ़ाने के लिए प्रारंभिक अवस्था में ही पानी में 1% घुलनशील उर्वरक मिलाकर एक या दो बार छिड़काव करना चाहिए।